अपनी भावनात्मक महत्त्वाकांक्षाओं को त्यागिये, प्रेम को नहीं

जब हमें भावनाओं के तूफान का सामना करना पड़ता है, तब हम ऐसे शब्दों का प्रयोग कर देते हैं अथवा ऐसा कार्य कर देते हैं, जिन से हमें बाद में खेद होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमें न तो स्कूल में और न ही घर पर क्रोध, दुःख या किसी भी नकारात्मक भावना को संभालने की सीख दी जाती है।


आर्ट ऑफ़ लिविंग के “हैप्पीनेस प्रोग्राम” में सिखाई जाने वाली श्वास-प्रणाली का ज्ञान नकारात्मक भावनाओं को संयमित करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मन की हर लय के साथ श्वास की एक अनुरूप लय जुड़ी होती है। इसलिए यदि आप अपने मन को सामान्य रूप से स्थिर नहीं कर पाते हैं, तब श्वास में लय उत्पन्न कर मन को स्थिर किया जा सकता है।


जब हम उचित लय से लिए गये श्वासों के महत्त्व को समझ लेते हैं, तब हम अपने विचारों और अपनी भावनाओं को भी वश में कर सकते हैं और अपने क्रोध तथा नकारात्मक विचारों को अपनी इच्छा शक्ति से त्याग सकते हैं।


वास्तव में आर्ट ऑफ़ लिविंग के ‘हैप्पीनेस प्रोग्राम’ में सिखायी जाने वाली सुदर्शन क्रिया के निरंतर अभ्यास से क्रोध और तनाव की आवृत्ति बहुत कम हो जाती है। इस से आप की परिस्थितियों को स्वीकार करने की क्षमता भी बढ़ जाती है एवं बिना विचारे प्रतिक्रिया देने की अपेक्षा आप में परिस्थितियों का सामना करने की तथा बुद्धि संगत व्यवहार करने की क्षमता बनती है।


स्वयं में प्रेम भाव को जीवन भर तरोताज़ा रखने के लिए स्वयं को बाहरी स्तर के आरंभिक आकर्षण से उपर उठाने तथा बदलती भावनाओं को स्थिर करने की आवश्यकता है। चाहे भावनाओं में किसी भी तरह का उतार चढ़ाव आये, सुदर्शन क्रिया से आपको अपने प्रियजनों के साथ जीवन को आनंदपूर्वक व्यतीत करने की योग्यता भी प्राप्त होती है।